भारत का सुप्रीम कोर्ट वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इस दिन कुल नौ याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं।
ये याचिकाएं कई व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दायर की गई हैं, जिनमें एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली आप विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, समस्ता केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फ़ज़लुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा शामिल हैं।
"मामला असदुद्दीन ओवैसी बनाम भारत संघ W.P.(C) No. 269/2025 शीर्षक से और अन्य संबंधित मामलों के साथ सर्वोच्च न्यायालय में एक साथ सुना जाएगा।"
वक्फ संशोधन अधिनियम को 4 अप्रैल को संसद द्वारा पारित किया गया था, और इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी। इसके बाद, केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम को लागू करने की अधिसूचना जारी की।
"सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार करना इस बात को दर्शाता है कि वक्फ कानूनों में किए गए संशोधनों के सार्वजनिक महत्व और प्रभाव को गंभीरता से लिया गया है।"