पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के खरड़ में एक व्यावसायिक बाजार तक जाने वाली सार्वजनिक सड़क पर बनाए गए अवैध मंदिर और गुरुद्वारे को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने धार्मिक समितियों को आवश्यक रीति-रिवाजों के साथ पवित्र ग्रंथों, मूर्तियों और धार्मिक पुस्तकों को हटाने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति हर्ष बुंगर ने सुनाया, जिन्होंने कहा:
"इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंदिर तथा गुरुद्वारे का निर्माण बिना किसी स्वीकृत भवन योजना/लेआउट प्लान के किया गया है।"
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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निर्माण से पहले किसी सक्षम प्राधिकरण से कोई अनुमति नहीं ली गई थी, और कॉलोनी के लेआउट प्लान में ऐसे किसी धार्मिक ढांचे का कोई प्रावधान नहीं है।
कोर्ट यह याचिका सुन रहा था, जिसमें श्री गुरु नानक दरबार गुरुद्वारा और राधा माधव मंदिर की प्रबंध समितियों द्वारा किए गए अवैध अतिक्रमण को हटाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, ये ढांचे GBP क्रेस्ट रेज़िडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी की मदद से बनाए गए थे।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि बाजार की ओर जाने वाले सार्वजनिक रास्तों को बैरिकेडिंग, दीवारें, गेट, बोर्ड और होर्डिंग लगाकर बंद कर दिया गया है, जिससे लोगों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हो रही है।
मामले की सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के महेश प्रसाद गुप्ता बनाम आर.जी., झारखंड हाईकोर्ट व अन्य (2002) के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था:
"यदि मंदिर का निर्माण बिना अनुमति और बिना भवन योजना के किया गया हो, तो उसे गिराने में कोई गैरकानूनी कार्य नहीं है।"
उपलब्ध दस्तावेज़ों की समीक्षा के बाद हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों धार्मिक संरचनाएं अवैध हैं और उन्हें हटाना अनिवार्य है।
कोर्ट के आदेश में कहा गया:
"यदि उपरोक्त सुधारात्मक कार्रवाई गुरुद्वारा और मंदिर प्रबंध समितियों द्वारा स्वयं छह सप्ताह की अवधि में की जाती है तो इसे सराहा जाएगा।"
यदि तय समयसीमा में ढांचे नहीं हटाए गए, तो कोर्ट ने खरड़ के उपमंडल मजिस्ट्रेट (SDM) को निर्देश दिया है कि वे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ पवित्र ग्रंथों और मूर्तियों को हटाएं और आवश्यकता पड़ने पर पुलिस की सहायता लेकर निर्माण को हटाएं।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा:
"अवैध निर्माण को हटाने का संपूर्ण खर्च गुरुद्वारा और मंदिर प्रबंध समितियों से वसूला जाएगा।"
कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि यदि निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी। साथ ही, एसडीएम को अनुपालन की स्थिति रिपोर्ट भी जमा करनी होगी।
श्री विजय राणा, याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता।
श्री नवनीत सिंह, वरिष्ठ डी.ए.जी. पंजाब।
श्री जी.एस. खोखर, प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता।
श्री वीरेन शर्मा, श्री यश श्रीवास्तव, प्रतिवादी संख्या 5 के अधिवक्ता।
श्री अमित झांजी, वरिष्ठ अधिवक्ता तथा श्री शशांक शेखर शर्मा, प्रतिवादी संख्या 7 के अधिवक्ता।
शीर्षक: गुरमेज सिंह एवं अन्य बनाम पंजाब राज्य