प्रदूषण नियंत्रण और वाहन प्रबंधन को सख्त बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सभी वाहनों के लिए हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) आदेश, 2018 और ईंधन आधारित रंग-कोडेड स्टिकर को अनिवार्य कर दिया है। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने स्पष्ट किया कि इन नियमों का पालन न करने वाले वाहनों को PUC प्रमाणपत्र, मालिकाना हस्तांतरण जैसी आवश्यक सेवाओं से वंचित किया जाएगा।
कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया है कि HSRP और स्टिकर के बिना वाहनों को निम्नलिखित सेवाएं प्रदान न की जाएं:
- वाहन का मालिकाना हस्तांतरण
- डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र जारी करना
- वाहन ऋण (हाइपोथेकेशन) में बदलाव या रद्द करना
- पंजीकरण में पते में संशोधन
- वाहन फिटनेस प्रमाणपत्र नवीनीकरण
न्यायालय का आदेश:
"गैर-अनुपालन वाले वाहनों को PUC प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा। राज्यों को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 192(1) के तहत ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी।"
कोर्ट ने अपने 2018 के आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया:
- 1 अप्रैल 2019 या उसके बाद बिके वाहन: HSRP नियमों का पालन अनिवार्य है। गैर-अनुपालन पर धारा 192(1) के तहत ₹5,000 तक का जुर्माना या कारावास हो सकता है।
- अप्रैल 2019 से पहले पंजीकृत वाहन: राज्यों को जागरूकता अभियान और सख्त जांच के माध्यम से धीरे-धीरे अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।
कानूनी आधार
यह आदेश निम्नलिखित कानूनों को मजबूत करता है:
- केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 का नियम 50(1)(iv): वाहन के विंडस्क्रीन पर क्रोमियम-आधारित होलोग्राम स्टिकर लगाना अनिवार्य।
- HSRP आदेश, 2018: पेट्रोल/CNG वाहनों के लिए हल्का नीला और डीजल वाहनों के लिए नारंगी स्टिकर का प्रावधान।
- मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39: बिना पंजीकरण के वाहन चलाना प्रतिबंधित।
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राज्य सरकारों के लिए समयसीमा
सभी एनसीआर राज्यों को 17 मार्च 2025 तक हलफनामे प्रस्तुत करने होंगे, जिनमें निम्नलिखित योजनाएं शामिल होंगी:
- अप्रैल 2019 से पहले और बाद में पंजीकृत वाहनों के अनुपालन की रणनीति।
- गैर-अनुपालन वाले वाहनों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण।
केंद्र सरकार इन रिपोर्ट्स को संकलित कर 21 मार्च 2025 को कोर्ट में पेश करेगी।
कोर्ट ने एनसीआर राज्यों से सरकारी विभागों, नगर निगमों और सार्वजनिक उपक्रमों में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीदने की नीति बनाने को कहा है। मार्च 2025 तक इन नीतियों को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
"HSRP नियमों का पालन वैकल्पिक नहीं है। राज्यों को जन स्वास्थ्य की सुरक्षा और वाहन मालिकाना हक में पारदर्शिता के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।"
यह आदेश एमसी मेहता बनाम भारत संघ (WP (C) 13029/1985) मामले में दिया गया, जो दिल्ली के वायु प्रदूषण संकट से जुड़ा है। इसी सुनवाई में पराली जलाने, कचरा प्रबंधन और ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन पर भी चर्चा हुई।
HSRP लगवाने के लिए अपने राज्य के परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें।