केरल हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) अपनी मान्यता देने की प्रक्रिया में हुई देरी के लिए शैक्षणिक संस्थानों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती।
यह फैसला मलप्पुरम स्थित मजीलिस आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें कॉलेज ने शैक्षणिक वर्ष 2025–26 के लिए आईटीईपी (एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम) पाठ्यक्रम की मान्यता मांगी थी। कॉलेज ने मई 2024 में सभी जरूरी दस्तावेज समय पर जमा कर दिए थे, लेकिन NCTE ने अंतिम मान्यता आदेश 01.05.2025 को जारी किया और उसे 2026–27 शैक्षणिक वर्ष के लिए लागू किया।
न्यायमूर्ति डी. के. सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के मां वैष्णो देवी महिला महाविद्यालय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2013) 2 SCC 617 मामले में दिए गए निर्देशों का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट है कि NCTE को आवेदन प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर कमियां बतानी होती हैं और संबंधित शैक्षणिक वर्ष के लिए मान्यता 3 मार्च तक देनी होती है। हालांकि, इस मामले में NCTE ने पांच महीने बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया, जो कि सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा का उल्लंघन है।
“जब स्वयं प्रथम प्रतिवादी / NCTE ही मां वैष्णो देवी महिला महाविद्यालय (उपरोक्त) में निर्धारित समयसीमा का पालन नहीं करता है, तो वह कॉलेज को दोषी नहीं ठहरा सकता जो कि किसी भी प्रकार की गलती में नहीं है,”
— केरल हाईकोर्ट
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NCTE ने देरी का कारण बैठकों के बैकलॉग और प्रशासनिक बदलाव बताया, लेकिन कोर्ट ने इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार्य मानते हुए कहा कि यह देरी पूरी तरह से प्रशासनिक अक्षमता के कारण हुई है, न कि कॉलेज की गलती से।
“वैधानिक संस्थाओं को प्रभावी और दक्षता से संचालित किया जाना चाहिए, और यदि वे इस प्रकार कार्य नहीं कर रही हैं, तो मान्यता और संबद्धता प्राप्त करने वाले कॉलेजों को इसका खामियाजा नहीं भुगतना चाहिए,”
— न्यायमूर्ति डी. के. सिंह
कोर्ट ने यह भी देखा कि कॉलेज ने समय पर सभी दस्तावेज जमा किए और हर निर्देश का पालन किया। इसके बावजूद, NCTE ने मान्यता आदेश 2026–27 के लिए जारी किया, जबकि पहले ही 2025–26 के लिए लेटर ऑफ इंटेंट दिया गया था, जो कि किसी भी तर्क और कारण के खिलाफ है।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया और निर्देश दिया कि 01.05.2025 को जारी मान्यता आदेश को शैक्षणिक वर्ष 2025–26 के लिए मान्य माना जाए। साथ ही कॉलेज को ITEP के तहत छात्रों के दाखिले के लिए पात्र संस्थानों की सूची में शामिल करने का भी आदेश दिया।
“जो देरी हुई है, वह प्रतिवादियों के अक्षम और अयोग्य प्रशासन के कारण हुई है,”
— केरल हाईकोर्ट
मामले की जानकारी:
प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता: डॉ. अब्राहम पी. मीचिंकारा (NCTE)
मामला संख्या: WP(C) No. 17822 of 2025
मामले का शीर्षक: सचिव सह प्रबंधक, मजीलिस आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज बनाम राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद एवं अन्य
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता: सुष्री निशा जॉर्ज, श्री जॉर्ज पूनत्तोट्टम (सीनियर), सुष्री काव्या वर्मा एम. एम.