17 जून 2025 को केरल हाईकोर्ट ने चिकित्सा लापरवाही मामलों की जांच करने वाली विशेषज्ञ समितियों के कार्य हेतु दिशानिर्देश तैयार करने में सहायता के लिए अधिवक्ता आकाश एस. को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया।
इन विशेषज्ञ समितियों का गठन तब किया जाता है जब डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही के आरोप लगाए जाते हैं और स्वतंत्र चिकित्सा राय की आवश्यकता होती है। इसका आधार सुप्रीम कोर्ट के जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य (2005) के ऐतिहासिक निर्णय पर आधारित है, जिसमें कहा गया था कि किसी डॉक्टर के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही से पहले एक स्वतंत्र और योग्य चिकित्सा राय प्राप्त करना अनिवार्य है।
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वर्तमान मामला डॉ. मोहम्मद रिजवान टी बनाम केरल राज्य एवं अन्य (Crl.MC 3414 of 2025) से संबंधित है, जिसमें डॉक्टर पर आईपीसी की धारा 304A के तहत इलाज में लापरवाही के कारण मरीज की मृत्यु का आरोप है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि न तो उन्हें विशेषज्ञ समिति द्वारा सुना गया और न ही उन्हें समिति की रिपोर्ट की प्रति दी गई।
"यह बुनियादी है कि समिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले डॉक्टर का पक्ष सुने और संबंधित डॉक्टर को रिपोर्ट की प्रति दे,"
— जस्टिस वी.जी. अरुण
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एडीजीपी (ADGP) ने अदालत को बताया कि वर्तमान में इस तरह की विशेषज्ञ समितियों के कार्य की विधिवत प्रक्रिया निर्धारित करने वाले कोई दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस तरह की अनियमितता डॉक्टरों के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है।
"ऐसे दिशानिर्देशों की अनुपस्थिति, याचिकाकर्ताओं जैसे आरोपियों के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी,"
— जस्टिस वी.जी. अरुण
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील और एडीजीपी दोनों को निर्देश दिया कि वे समिति के कार्य के लिए उचित दिशानिर्देशों को लेकर अपने सुझाव प्रस्तुत करें। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को होगी, और तब तक याचिकाकर्ता के विरुद्ध कार्यवाही पर रोक को बढ़ा दिया गया है।
केस का शीर्षक: डॉ. मोहम्मद रिज़वान टी. बनाम केरल राज्य और अन्य
केस संख्या: सीआरएल.एमसी 3414/2025