कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वरुणा विधानसभा क्षेत्र से 2023 के विधानसभा चुनाव में हुई जीत को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका खारिज कर दी है। यह फैसला मंगलवार को न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव की एकल पीठ ने सुनाया।
यह याचिका वरुणा क्षेत्र के एक मतदाता केएम शंकरा ने दाखिल की थी। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को मुफ्त योजनाओं का प्रलोभन देकर चुनावी अनियमितता की है।
याचिका में कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए पाँच बड़े वादों को मुख्य मुद्दा बनाया गया। इन वादों में 'गृह ज्योति' योजना के तहत हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, 'गृह लक्ष्मी' योजना के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को ₹2,000 प्रति माह, 'अन्न भाग्य' योजना के तहत बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को हर महीने 10 किलो राशन, 'युवा निधि' योजना के तहत दो साल तक बेरोजगार स्नातकों को ₹3,000 और डिप्लोमा धारकों को ₹1,500 प्रतिमाह तथा 'उचित प्रयाण / शक्ति' योजना के तहत महिलाओं को राज्यभर में सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा देने का वादा शामिल था।
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याचिकाकर्ता का कहना था कि इस तरह के वादे "मतदाताओं को रिश्वत देने और अनुचित प्रभाव डालने" की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा:
कांग्रेस पार्टी की पांच गारंटी भ्रष्ट आचरण के तहत रिश्वत देने और मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव डालने के दायरे में आती हैं। ये गारंटी उम्मीदवार और कांग्रेस पार्टी की तरफ से मतदाताओं के लिए एक प्रकार का प्रलोभन हैं, जिनका उद्देश्य मतदाताओं को कांग्रेस प्रत्याशी — सिद्धारमैया को वोट देने के लिए प्रेरित करना था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी तर्क दिया कि खुद सिद्धारमैया ने इन गारंटी योजनाओं को लेकर प्रचार किया, न कि केवल पार्टी ने। उन्होंने दलील दी:
"मेरे मामले में, प्रतिवादी (सिद्धारमैया) ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पूरे निर्वाचन क्षेत्र और राज्य में प्रचार किया, सार्वजनिक सभाएं कीं और विज्ञापन जारी किए। यह गारंटी सिद्धारमैया द्वारा हस्ताक्षरित हैं, न कि केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी द्वारा। वे इन गारंटी के आधार पर वोट मांग रहे थे। इसलिए, उन्होंने एजेंट के रूप में ही नहीं बल्कि उम्मीदवार के रूप में भी कार्य किया। इस वजह से कर्नाटक में हुए पूरे चुनाव को शून्य घोषित किया जाना चाहिए।"
याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि ये सरकारी नीतियां राज्य की नीति निर्देशक सिद्धांतों के विरुद्ध हैं। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि सिद्धारमैया का चुनाव अमान्य घोषित किया जाए और उन्हें छह वर्षों के लिए किसी भी चुनाव में भाग लेने से अयोग्य ठहराया जाए।
हालांकि, सभी दलीलें सुनने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। फिलहाल अदालत का विस्तृत आदेश आना बाकी है। लेकिन इस फैसले के साथ ही सिद्धारमैया की वरुणा से जीत बरकरार रही।
यह मामला के वी शंकरा बनाम सिद्धारमैया शीर्षक के तहत दर्ज हुआ था और इसका केस नंबर ईपी 13/2023 था।