Logo
Court Book - India Code App - Play Store

दिल्ली हाईकोर्ट: अदालतों को अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए, बाद में देरी पर पछताने से बेहतर है

2 May 2025 10:07 AM - By Vivek G.

दिल्ली हाईकोर्ट: अदालतों को अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए, बाद में देरी पर पछताने से बेहतर है

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में इस बात पर ज़ोर दिया कि अदालतों की यह जिम्मेदारी है कि वे अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के अधिकार की रक्षा करें, न कि लंबी हिरासत के बाद इस देरी पर अफसोस जताएं। जस्टिस अनुप जयराम भंभानी ने धोखाधड़ी के एक मामले में अभियुक्त अमित अग्रवाल को जमानत देते हुए कहा कि अदालतों को समय रहते कार्रवाई करनी चाहिए ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।

“कब तक बहुत देर हो जाती है, इससे पहले कि अदालत यह महसूस करे कि एक अंडरट्रायल बहुत लंबे समय से हिरासत में है, और संविधान का शीघ्र सुनवाई का वादा विफल हो चुका है?” — जस्टिस अनुप जयराम भंभानी

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट: धारा 482 CrPC के तहत FIR रद्द करने के लिए हाई कोर्ट जांच रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकता

यह मामला एक आपराधिक साजिश से जुड़ा था, जिसमें कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर जाली दस्तावेज़ बनाकर कस्टम विभाग की बिना दावे की गई राशि को हड़पने की योजना बनाई थी। अग्रवाल पर इस साजिश में वित्तीय माध्यम की भूमिका निभाने का आरोप था और वे 13 महीने से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में थे।

दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा अक्टूबर 2023 में दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, इस मामले में एक पूर्व कस्टम अधिकारी, एक बैंक प्रबंधक और अन्य अभियुक्त शामिल थे, जिन्होंने लगभग ₹10 करोड़ की हेराफेरी की।

अग्रवाल के वकील ने दलील दी कि वे इस साजिश के मुख्य सूत्रधार नहीं थे और न ही किसी प्रकार की जालसाज़ी में उनकी भूमिका थी। उन्हें कथित तौर पर अपने खाते इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए बहलाया गया था, यह कहते हुए कि यह केवल ‘टैक्स सेविंग’ के लिए किया जा रहा है। इस मामले में चार्जशीट पहले ही दाखिल हो चुकी है, जिसमें 49 गवाहों के नाम हैं और यह लगभग 10,000 पृष्ठों की है, लेकिन अब तक आरोप तय नहीं हुए हैं और मुकदमा शुरू नहीं हुआ है।

Read Also:- अनुच्छेद 227 का प्रयोग कर हाईकोर्ट वादपत्र अस्वीकार नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी

“अधिकतम सज़ा चाहे जो हो... वर्तमान में याचिकाकर्ता केवल एक अभियुक्त हैं और अब तक किसी अपराध में दोषी नहीं ठहराए गए हैं। मुकदमे की प्रतीक्षा में उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।” — दिल्ली हाईकोर्ट

अदालत ने स्पष्ट किया कि लंबी पूर्व-ट्रायल हिरासत संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि पूर्व-ट्रायल हिरासत का उद्देश्य अभियुक्त को सज़ा देना नहीं है, बल्कि केवल उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करना है।

“यह आवश्यक है कि अदालत अभियुक्त के शीघ्र सुनवाई के अधिकार को पहचाने और उसकी रक्षा करे; न कि बहुत देर से जागे और कहे कि अधिकार नष्ट हो गया।” — दिल्ली हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए, अदालत ने बताया कि दोष सिद्धि से पहले की कैद से व्यक्ति को मानसिक और सामाजिक नुकसान होता है, विशेषकर कमजोर वर्गों के लिए यह स्थिति आजीविका, सम्मान और पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

Read Also:- सुप्रीम कोर्ट: अवैध निर्माण को गिराना ही होगा, न्यायिक वैधीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती

राज्य सरकार की इस दलील के बावजूद कि अग्रवाल की भूमिका बड़ी थी, अदालत ने पाया कि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है जो यह दर्शाता हो कि उन्होंने जालसाज़ी की या धोखाधड़ी के पैमाने को समझते थे। अन्य सह-आरोपियों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है, और अग्रवाल ने कभी भी अंतरिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया।

चूंकि उनकी निरंतर हिरासत के लिए कोई ‘आवश्यकता’ नहीं थी और ट्रायल में विलंब स्पष्ट था, इसलिए अदालत ने उन्हें कड़े शर्तों के साथ नियमित जमानत दी, जिसमें ₹5 लाख का बॉन्ड, पासपोर्ट जमा करना और गवाहों से संपर्क नहीं करना शामिल था।

“शीघ्र सुनवाई का अधिकार, निर्दोषता की धारणा का पूरक है… यदि अदालत इस धारणा को नजरअंदाज़ करती है और ट्रायल को तेजी से नहीं कराती, तो यह न्याय का अपमान होगा।” — दिल्ली हाईकोर्ट

यह निर्णय न्यायपालिका को यह याद दिलाता है कि उसे अंडरट्रायल अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ताकि न्यायिक प्रक्रिया स्वयं ही सज़ा न बन जाए।

शीर्षक: अमित अग्रवाल बनाम एनसीटी दिल्ली राज्य और अन्य।

Similar Posts

केरल हाईकोर्ट: सजा माफी की गणना में सेट-ऑफ अवधि को नहीं जोड़ा जा सकता

केरल हाईकोर्ट: सजा माफी की गणना में सेट-ऑफ अवधि को नहीं जोड़ा जा सकता

30 Apr 2025 2:25 PM
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एसडीएम को लगाई फटकार, मेडिकल बोर्ड गठित करने को न्यायिक क्षेत्र में दखल बताया

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एसडीएम को लगाई फटकार, मेडिकल बोर्ड गठित करने को न्यायिक क्षेत्र में दखल बताया

29 Apr 2025 2:35 PM
क्या एक ही भाषण पर कई FIR दर्ज हो सकती हैं? शरजील इमाम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल

क्या एक ही भाषण पर कई FIR दर्ज हो सकती हैं? शरजील इमाम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उठाया सवाल

30 Apr 2025 9:04 AM
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने HUDA द्वारा अस्पताल प्लॉट की अनुचित रद्दीकरण को रद्द किया, मानसिक उत्पीड़न के लिए ₹5 लाख का मुआवजा दिया

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने HUDA द्वारा अस्पताल प्लॉट की अनुचित रद्दीकरण को रद्द किया, मानसिक उत्पीड़न के लिए ₹5 लाख का मुआवजा दिया

1 May 2025 5:01 PM
सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर की जमानत के खिलाफ याचिका का निपटारा किया, कहा 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर की जमानत के खिलाफ याचिका का निपटारा किया, कहा 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला सुरक्षित

2 May 2025 4:16 PM
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में ऑनर किलिंग मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में ऑनर किलिंग मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी

28 Apr 2025 7:17 PM
सुप्रीम कोर्ट ने गिर सोमनाथ में 12 फुट ऊंची दीवार को लेकर गुजरात से सवाल किया, उचित ऊंचाई मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने गिर सोमनाथ में 12 फुट ऊंची दीवार को लेकर गुजरात से सवाल किया, उचित ऊंचाई मांगी

28 Apr 2025 6:06 PM
₹74 हजार के लोक अदालत पुरस्कार को चुनौती देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एलआईसी को फटकारा, मुकदमेबाज़ी का खर्च पुरस्कार से ज़्यादा

₹74 हजार के लोक अदालत पुरस्कार को चुनौती देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एलआईसी को फटकारा, मुकदमेबाज़ी का खर्च पुरस्कार से ज़्यादा

29 Apr 2025 9:02 AM
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ की जांच CBI को सौंपी; सुपरटेक लिमिटेड से होगी शुरुआत

सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ की जांच CBI को सौंपी; सुपरटेक लिमिटेड से होगी शुरुआत

30 Apr 2025 10:56 AM
हाथरस गैंगरेप केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निलंबित SHO को राहत देने से इनकार किया, कर्तव्य में लापरवाही को लेकर लगाई फटकार

हाथरस गैंगरेप केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निलंबित SHO को राहत देने से इनकार किया, कर्तव्य में लापरवाही को लेकर लगाई फटकार

29 Apr 2025 9:26 AM