पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया है कि यदि किसी मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी को सेवा रिकॉर्ड में नामित किया गया है, तो वह अनुकंपा आधार पर नौकरी पाने की हकदार होगी, भले ही पहली पत्नी से कोर्ट के जरिए तलाक न हुआ हो।
मामला किरणदीप कौर बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता किरणदीप कौर ने अपने पति तिरथ सिंह की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। तिरथ सिंह पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (PSPCL) में सहायक लाइनमैन के पद पर कार्यरत थे और 26.02.2022 को सेवा में रहते हुए उनका निधन हो गया था।
तिरथ सिंह की पहली शादी 2006 में बलजिंदर कौर से हुई थी और 2007 में पंचायत द्वारा तलाक लिया गया। इसके बाद 2009 में उन्होंने किरणदीप कौर से शादी की और उनके दो बेटियाँ हुईं। किरणदीप ने दावा किया कि वह पिछले 23 वर्षों से तिरथ सिंह के साथ रह रही थीं और पूर्णतः उन पर निर्भर थीं। वह उनके सेवा रिकॉर्ड में नामित भी थीं।
हालांकि, सभी दस्तावेज़ जमा करने के बाद भी विभाग ने उनकी अनुकंपा नियुक्ति की मांग खारिज कर दी। लॉ ऑफिसर की राय थी कि पंचायत द्वारा हुआ तलाक कानूनी नहीं माना जा सकता, इसलिए दूसरी शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती।
“याचिकाकर्ता संख्या 1 (विधवा) जो तिरथ सिंह की सेवा रिकॉर्ड में नामित हैं और पूरी तरह उन पर निर्भर थीं, अनुकंपा आधार पर नियुक्ति की पात्र हैं।”
— न्यायमूर्ति दीपिंदर सिंह नलवा
कोर्ट ने माना कि भले ही दूसरी शादी को कानूनन मान्यता न मिले क्योंकि पहली शादी का विधिवत तलाक नहीं हुआ था, लेकिन यह निर्विवाद है कि किरणदीप कौर उनके साथ रहीं, सेवा रिकॉर्ड में नामित रहीं और उनके साथ दो बच्चियों को पाला। पहली पत्नी बलजिंदर कौर ने भी शपथपत्र दिया कि वह न तो अनुकंपा नियुक्ति की दावेदार हैं और न ही भविष्य में कोई दावा करेंगी।
हाईकोर्ट ने विद्याधरी बनाम सुखराना बाई [2008(1) RCR (Civil) 900] मामले का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि भले ही पहली शादी वैध रूप से चल रही थी, फिर भी सेवा रिकॉर्ड में नामित होने के आधार पर दूसरी पत्नी को पेंशन का अधिकार प्राप्त हुआ।
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“यह स्वीकार्य तथ्य है कि याचिकाकर्ता मृतक तिरथ सिंह के साथ लगभग 23 वर्षों से रह रही थीं… और सेवा रिकॉर्ड में नामित होने के कारण वह वैधानिक रूप से रिटायरल लाभों की अधिकारी हैं।”
— पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
कोर्ट ने किरणदीप कौर के पक्ष में फैसला सुनाया और PSPCL को निर्देश दिया कि उन्हें नियुक्ति पत्र के अनुसार सेवा में शामिल होने दिया जाए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री जी.एस. पूनिया और अधिवक्ता सुश्री हरलीन कौर ने पक्ष रखा। वहीं प्रतिवादियों की ओर से अधिवक्ता श्री रंगत जोशी पेश हुए।
मामले का नाम: किरणदीप कौर व अन्य बनाम पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड व अन्य