एक अहम आदेश में, केरल हाईकोर्ट ने 4 जून को पर्यवेक्षण गृह, कोझिकोड के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह शहाबास मर्डर केस में आरोपी किशोरों को उनके आवंटित स्कूलों में प्रवेश दिलवाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करें।
कोर्ट ने थामारशेरी थाना प्रभारी (SHO) को भी यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि अधीक्षक और याचिकाकर्ताओं को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान उचित सुरक्षा और सहायता प्रदान की जाए।
यह आदेश जस्टिस बिचू कुरियन थॉमस द्वारा एक आपराधिक विविध आवेदन (Crl.M.A. No. 6/2025 in B.A. 6291/2025) पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया, जिसमें किशोरों ने 11वीं कक्षा में प्रवेश लेने की अनुमति मांगी थी।
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याचिका में बताया गया था कि इन किशोरों को तीन अलग-अलग स्कूलों में 11वीं कक्षा के लिए स्थान आवंटित किया गया है और 5 जून प्रवेश की अंतिम तिथि है। यदि वे उपस्थित नहीं होते हैं तो वे प्रवेश से वंचित हो जाएंगे।
“याचिकाकर्ताओं के वकील, लोक अभियोजक और शिकायतकर्ता के वकील को सुनने के बाद यह कोर्ट मानती है कि याचिकाकर्ताओं की शिक्षा के अवसरों को सीमित नहीं किया जाना चाहिए, विशेष रूप से जब यह जमानत याचिका विचाराधीन है और निर्णय सुरक्षित रखा गया है।”
— जस्टिस बिचू कुरियन थॉमस
इस प्रकार, याचिकाकर्ताओं को 5 जून 2025 को अपने-अपने स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए सीमित अवधि के लिए अनुमति दी गई। कोझिकोड पर्यवेक्षण गृह के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे या तो याचिकाकर्ताओं की ऑनलाइन उपस्थिति की व्यवस्था करें या उन्हें शारीरिक रूप से स्कूल में उपस्थित करवाएं।
यह आदेश मामले की तात्कालिकता को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया, क्योंकि उनकी जमानत याचिकाएं वर्तमान में निर्णय हेतु सुरक्षित रखी गई हैं।
मामले की पृष्ठभूमि:
किशोरों पर आरोप है कि उन्होंने ट्यूशन सेंटर में हुए फेयरवेल फंक्शन को लेकर विवाद में नंचाकू से शहाबास पर हमला किया था। आरोप है कि उन्होंने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स बनाकर हमले की योजना बनाई थी। मृतक की मृत्यु सिर की हड्डी टूटने के कारण हुई थी।
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किशोरों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की निम्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है:
- धारा 103(1) – हत्या
- धारा 126(2) – गलत तरीके से रोकना
- धारा 189 – गैरकानूनी जमावड़ा
- धाराएं 191(2) व 191(3) – दंगा
- धारा 118(2) – जानबूझकर चोट या गंभीर चोट पहुंचाना
- धारा 190 – अन्य अपराध
इससे पूर्व किशोर न्याय बोर्ड ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और थामारशेरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी।
“आरोपों की गंभीरता के बावजूद, जब तक न्यायिक रूप से रोका न जाए, किशोरों के शैक्षणिक अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।”
— केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी
मामला "सूर्य किरण बनाम केरल राज्य" के रूप में दर्ज है और यह अब भी कोर्ट की निगरानी में है।