इलाहाबाद हाईकोर्ट ने JEE (Main) 2025 परीक्षा के तीन उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने पुनः परीक्षा की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि मुख्यमंत्री के काफिले के कारण लखनऊ में ट्रैफिक जाम लग गया, जिससे वे समय पर परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच सके।
यह मामला न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने सुना, जिन्होंने छात्रों की परेशानी को समझा, लेकिन यह स्पष्ट किया कि इस स्थिति में अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता साबिर अली ने कोर्ट में अपील की थी कि 2 अप्रैल से 8 अप्रैल 2025 के बीच किसी भी तारीख को उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी जाए, क्योंकि वे अपनी निर्धारित पारी 2 अप्रैल 2025 (शाम 3 बजे से 6 बजे) में शामिल नहीं हो सके थे।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, वे दोपहर 1:30 बजे समता मुलाक चौराहा, गोमती नगर पर ट्रैफिक जाम में फंस गए थे, जो मुख्यमंत्री के काफिले के गुजरने के कारण लगा था। करीब 30 मिनट बाद रास्ता खुला, लेकिन भारी भीड़ के कारण वे आजाद टेक्निकल कैंपस, परीक्षा केंद्र, गेट बंद होने के समय 2:30 बजे तक नहीं पहुंच सके। वे 2:35 बजे पहुंचे, जो पांच मिनट की देरी थी, लेकिन केंद्र प्रशासन ने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया।
कोर्ट ने कहा:
"याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में शामिल होने का कानूनी अधिकार हो सकता है, लेकिन यह अधिकार परीक्षण एजेंसी द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अधीन है, जो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।"
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल शशांक भसीन ने दलील दी कि उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम दो घंटे पहले केंद्र पर पहुंचने की सलाह दी गई थी, जैसा कि वर्ष 2025 के दिशा-निर्देशों के क्लॉज 5 में स्पष्ट है। दिशा-निर्देशों में यह भी उल्लेख है कि:
"अगर किसी कारणवश, जैसे ट्रैफिक जाम या सार्वजनिक परिवहन में देरी, उम्मीदवार देर से पहुंचते हैं, तो ऐसी स्थिति में दोबारा परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी।"
कोर्ट ने यह भी कहा:
"कानूनी अधिकार की अनुपस्थिति और उसके उल्लंघन के बिना, मंडमस की याचिका नहीं दी जा सकती।"
न्यायमूर्ति सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही एडमिट कार्ड में 1:00 बजे रिपोर्टिंग समय दिया गया हो, लेकिन असली महत्व 2:30 बजे गेट बंद होने का था, जिसे याचिकाकर्ता ने स्वीकार किया कि वे चूक गए। कोर्ट ने यह भी पाया कि सभी तीन याचिकाकर्ता अलग-अलग क्षेत्रों से आते हैं और उनके एक साथ यात्रा करने या एक ही ट्रैफिक में फंसे होने का कोई प्रमाण नहीं दिया गया।
साथ ही, ऐसा कोई सबूत नहीं दिया गया कि NTA के पास ऐसी परिस्थितियों के लिए कोई व्यवस्था या लचीलापन मौजूद है। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि:
"निर्देशों का उल्लंघन, विशेष रूप से ट्रैफिक जाम के कारण देर से पहुंचने की स्थिति में, याचिकाकर्ता दोबारा परीक्षा की मांग नहीं कर सकते और NTA पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं बनती।"
इन तथ्यों को देखते हुए, कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार कर दिया। मुकदमे की लागत को सरल कर दिया गया।
अंतिम आदेश तिथि: 4 अप्रैल, 2025
न्यायालय: इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ
केस का शीर्षक - रिदा फातिमा खान और अन्य बनाम भारत संघ के माध्यम से सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, नई दिल्ली और अन्य 2025
मामला संख्या: रिट - सी संख्या 3253/2025
याचिकाकर्ता: रिदा फातिमा खान और अन्य
प्रतिवादी: भारत संघ और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA)