दिल्ली हाईकोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर मानहानि के मामले में त्रिणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले के वेतन की कुर्की का आदेश दिया है।
"उत्तरदाता के वेतन के संबंध में सीपीसी की धारा 60(i) के अनुसार कुर्की वारंट जारी किया जाए,"
— न्यायमूर्ति मन्मीत प्रीतम सिंह अरोड़ा, दिल्ली हाईकोर्ट
यह आदेश तब आया जब गोखले अदालत के पहले के उस आदेश का पालन नहीं कर पाए जिसमें उन्हें ₹50 लाख का हर्जाना जमा करने का निर्देश दिया गया था। यह राशि मानहानि के एक डिक्री के तहत लक्ष्मी पुरी को दी जानी थी।
जुलाई 2021 में, इसी अदालत की एक समन्वय पीठ ने अंतरिम राहत सुनवाई के दौरान पुरी के पक्ष में फैसला सुनाया था। उस समय गोखले को निर्देश दिया गया था कि:
- टाइम्स ऑफ इंडिया में सार्वजनिक माफी प्रकाशित करें।
- अपने ट्विटर अकाउंट पर माफी पोस्ट करें, जो छह महीने तक पिन रहे।
- संबंधित ट्वीट्स को 24 घंटे के भीतर हटा दें।
- पुरी के खिलाफ और कोई मानहानिपूर्ण पोस्ट न करें।
इन सभी निर्देशों के बावजूद, हाईकोर्ट ने पाया कि गोखले ने न तो हर्जाना जमा किया और न ही कोई उचित कारण बताया।
“उत्तरदाता द्वारा वादी और उनके पति के खिलाफ निराधार आरोप लगाए गए हैं,”
— दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पिछले फैसले में शेक्सपियर के ओथेलो नाटक का उद्धरण
लक्ष्मी पुरी ने यह मामला गोखले के उन ट्वीट्स को लेकर दायर किया था, जिनमें उन्होंने स्विट्ज़रलैंड में खरीदी गई उनकी संपत्ति को लेकर सवाल उठाए थे। ट्वीट्स में पुरी और उनके पति, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, के वित्तीय मामलों पर आरोप लगाए गए थे। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच की मांग भी की थी।
पुरी की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि ये ट्वीट्स झूठे, मानहानिपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण इरादे से किए गए थे। उनके अनुसार, इन पोस्ट्स का उद्देश्य जनता को गुमराह करना और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना था।
चूंकि गोखले ने अदालत के पहले के आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिए वर्तमान आदेश के अनुसार उनका वेतन तब तक कुर्क रहेगा जब तक ₹50 लाख की पूरी राशि अदालत में जमा नहीं हो जाती।
“अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि पहले के डिक्री का पालन नहीं हुआ है। अतः वेतन कुर्की के साथ निष्पादन की कार्यवाही आगे बढ़ेगी,”
— न्यायमूर्ति मन्मीत प्रीतम सिंह अरोड़ा
यह आदेश मानहानि के मामलों में वेतन कुर्की जैसे कदमों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो अदालत द्वारा दिए गए आदेशों के पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक सख्त कदम को दर्शाता है।
शीर्षक: लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी बनाम साकेत गोखले