इलाहाबाद हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने शुक्रवार को NEET-UG 2025 के घोषित होने वाले परिणामों पर रोक लगाने और प्रश्न पत्र के भौतिकी खंड को रद्द कर पुनः परीक्षा कराने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति सौरभ लवाणिया और न्यायमूर्ति सैयद क़मर हसन रिज़वी की खंडपीठ ने "दीनबंधु समग्र स्वास्थ्य एवं शिक्षा शोध संस्थान" द्वारा दायर इस याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी प्रतीक्षित है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मोतीलाल यादव और आरती रावत के माध्यम से दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि 4 मई 2025 को आयोजित NEET-UG परीक्षा के भौतिकी खंड में कई अनियमितताएँ थीं। याचिका में कहा गया कि इस खंड में पूछे गए कई प्रश्न या तो त्रुटिपूर्ण थे, सिलेबस से बाहर थे या किसी निजी कोचिंग संस्थान की सामग्री से बिना उचित जांच के सीधे नकल किए गए थे।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि कई प्रश्न तथ्यात्मक रूप से गलत, तर्कहीन या अप्रासंगिक थे, जिससे परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। यह भी कहा गया कि ऐसे प्रश्न NEET के निर्धारित पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं थे और इससे कोचिंग संस्थानों के विद्यार्थियों को अनुचित लाभ मिला।
"ऐसे सिलेबस से बाहर के प्रश्नों को केवल पेपर सेटर की अनभिज्ञता या संयोगवश शामिल नहीं किया जा सकता, बल्कि संभवतः वे कुछ कोचिंग संस्थानों द्वारा पढ़ाए गए थे, और ऐसे में उन कोचिंग संस्थानों के अभ्यर्थी निश्चित रूप से इसका लाभ उठाएंगे," याचिका में तर्क दिया गया।
इसके अलावा, याचिका में मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए गए। इसमें कहा गया कि उत्तर पुस्तिकाएं उम्मीदवारों को नहीं दिखाई गईं, जिससे परिणामों में भारी अंतर पाया गया। याचिका में यह भी कहा गया कि प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी उत्तर पुस्तिका देखने और दूसरों से तुलना करने का अविभाज्य अधिकार है।
इसी आधार पर याचिका में मांग की गई कि NEET का पूरा परिणाम सार्वजनिक किया जाए ताकि सभी उम्मीदवार अपनी प्रदर्शन की निष्पक्ष तुलना कर सकें।
एक और महत्वपूर्ण बिंदु में यह भी कहा गया कि राजस्थान के सीकर और तमिलनाडु के नामक्कल जैसे जिलों से असामान्य रूप से उच्च स्कोर करने वाले विद्यार्थियों की संख्या सामने आई है, जिससे परीक्षा प्रक्रिया और अंक देने की प्रणाली में संभावित गड़बड़ी की ओर इशारा किया गया।
राज्य की ओर से अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता इन्द्रजीत शुक्ला उपस्थित हुए। वहीं, उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक की ओर से अधिवक्ता सैयद मोहम्मद हैदर रिज़वी पेश हुए।