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सुप्रीम कोर्ट ने कहा – अगर आरोप सही पाए गए तो रद्द करेंगे SCBA चुनाव

23 May 2025 1:56 PM - By Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा – अगर आरोप सही पाए गए तो रद्द करेंगे SCBA चुनाव

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के 2025 के चुनाव में अनियमितताओं के आरोप सही पाए गए, तो वह चुनाव को रद्द कर सकता है। यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. आदिश अग्रवाला द्वारा उठाया गया।

अग्रवाला, जो कि पूर्व SCBA अध्यक्ष रहे हैं और हाल ही में हुए चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार भी थे, ने यह मामला SCBA बनाम बी.डी. कौशिक केस के संदर्भ में उठाया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में सुधारों से संबंधित मुद्दे पहले से ही जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष लंबित हैं।

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“अगर हमें संतोष हुआ, तो हम चुनाव रद्द कर देंगे।”
– जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस कांत ने अग्रवाला से कहा कि वे विशेष पीठ की रचना का इंतजार करें, जिसमें जस्टिस विश्वनाथन शामिल होंगे। उन्होंने आगे कहा, “विशेष पीठ का इंतजार कीजिए... पता कीजिए कि जस्टिस विश्वनाथन कब बैठेंगे, मैं उस सप्ताह में बैठूंगा। आज सूचीबद्ध करने का कोई सवाल ही नहीं है। आसमान नहीं टूट पड़ेगा।”

इससे एक दिन पहले, यही पीठ कह चुकी थी कि बार के किसी भी सदस्य को यदि SCBA चुनाव में अनियमितता की शिकायत हो, तो वे प्रमाण के साथ कोर्ट में आ सकते हैं। कोर्ट ने संबंधित CCTV फुटेज संरक्षित करने का आदेश भी दिया और कहा कि यदि कोई आरोप जैसे मतदाता का भेष में आना (इम्पर्सोनेशन) साबित होते हैं, तो वह इनकी जांच करेगा।

अग्रवाला की याचिका में बड़ी गड़बड़ी की ओर इशारा किया गया है। उन्होंने दावा किया कि जहां कुल 2,588 वोटिंग स्लिप्स जारी की गईं, वहीं कुल गिने गए वोटों की संख्या (अमान्य वोट सहित) 2,651 थी — यानी 200 वोट ज्यादा पाए गए।

“यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मतपेटियों में 200 अतिरिक्त वोट पाए गए, जबकि केवल 2588 स्लिप्स ही मतदाताओं को जारी की गई थीं।”
– अग्रवाला की याचिका से

उन्होंने केवल अनियमितताओं की ही नहीं बल्कि “धोखाधड़ी वाले कृत्यों” की भी बात की। एक प्रमुख आरोप वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी पर लगा, जो चुनाव समिति की सदस्य थीं और जिन्होंने कथित रूप से निर्वाचित अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह का समर्थन किया और उनके लिए प्रचार किया। याचिका में कहा गया:

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“उन्होंने मतदाताओं से कई बार खुले तौर पर कहा – यह श्री विकास सिंह का चौथा और अंतिम कार्यकाल है, इसलिए उन्हें वोट दीजिए, अगली बार मैं अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ूंगी और श्री विकास सिंह मेरा समर्थन करेंगे।”

अग्रवाला ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव समिति ने कई वोटों की गिनती किए बिना ही परिणामों की घोषणा कर दी और यह सब विकास सिंह और पूर्व अध्यक्ष कपिल सिब्बल की मिलीभगत से हुआ।

एक और गंभीर आरोप यह है कि विकास सिंह द्वारा 19 और 20 मई 2025 की शाम को मतदाताओं को वोट मांगने के लिए पत्र भेजा गया, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन था। अग्रवाला ने दावा किया कि शिकायत देने के बावजूद चुनाव समिति ने कोई कार्रवाई नहीं की।

उनकी याचिका में मांगे गए हैं:

  • अध्यक्ष पद के लिए घोषित चुनाव परिणाम को रद्द करना
  • कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति से न्यायिक जांच कराना
  • चुनाव से संबंधित सभी सामग्री को संरक्षित रखना

यह याचिका अधिवक्ता विपिन कुमार भारती, सूरज पाठक और रितेश सिंह द्वारा तैयार की गई और AoR कुलदीप जौहरी के माध्यम से दाखिल की गई।

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SCBA के दो अन्य सदस्यों द्वारा दाखिल एक अन्य याचिका में कहा गया कि कोर्ट द्वारा गठित चुनाव समिति ने चुनाव प्रक्रिया को दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं चलाया। उनके अनुसार:

  • नामांकन की अंतिम तिथि के बाद भी मतदाता सूची प्रकाशित होती रही
  • 2024 के 60 प्रॉक्सिमिटी कार्ड एंट्री के आधार पर नई सूची तैयार नहीं की गई
  • 2023 की सूची में शामिल 500 नए मतदाता बिना 2024 की एंट्री जांचे ही सूची में बने रहे

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई ऐसे लोग भी चुनाव में शामिल हुए जो अधिवक्ता नहीं थे और फर्जी वोट डाले गए। याचिका में कहा गया कि किसी को भी मतदाताओं की पहचान जांचने की अनुमति नहीं दी गई और चुनाव समिति ने फोटो सहित मतदाता सूची भी जारी नहीं की, जिससे मतदाता की पहचान करना असंभव हो गया।

उनकी मांगें हैं:

  • SCBA चुनाव को रद्द किया जाए
  • फिर से चुनाव कराए जाएं
  • चुनाव प्रक्रिया की जांच के लिए कोर्ट रजिस्ट्रार और स्वतंत्र व्यक्ति को मिलाकर एक समिति गठित की जाए

“चुनाव समिति ने जानबूझकर फोटो सहित मतदाता सूची प्रकाशित नहीं की, जिससे चुनाव समिति के अधिकारियों के लिए मतदाता सूची से मिलान करना असंभव हो गया।”
– दूसरी याचिका से

सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद है कि विशेष पीठ द्वारा इस मामले की गंभीरता से सुनवाई की जाएगी और सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी।

केस का शीर्षक: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बीडी कौशिक, डायरी संख्या 13992/2023

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