एक हालिया निर्णय में, केरल हाई कोर्ट ने एक सहकारी बैंक को बकाया राशि चुकाने में संघर्ष कर रहे याचिकाकर्ता को वित्तीय राहत प्रदान की। कोर्ट ने किश्तों में चुकौती की अनुमति दी, जिससे याचिकाकर्ता बिना तत्काल वित्तीय दबाव के ऋण का प्रबंधन कर सके।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, हरिदास M, उम्र 50 वर्ष, ने केरल स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से लोन लिया था। हालांकि, वित्तीय कठिनाइयों के कारण, वह भुगतान में चूक गया, जिसके परिणामस्वरूप 1 अगस्त, 2025 तक बकाया राशि 37,92,275 रुपये हो गई। बैंक ने एक बिक्री नोटिस (एग्ज़िबिट-पी1) सहित जबरदस्ती की कार्यवाही शुरू की, जिसके बाद हरिदास ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत एक रिट याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता की प्रार्थनाएँ
हरिदास ने कोर्ट से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया:
- बैंक को पूरी बकाया राशि को 24 समान मासिक किश्तों में चुकाने की अनुमति देने का निर्देश दें।
- चुकौती पूरी होने तक बिक्री नोटिस से संबंधित सभी आगे की कार्यवाही पर रोक लगाएँ।
- स्थानीय भाषा के दस्तावेज़ों के अनुवाद से छूट का अनुरोध किया।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति के. बाबू ने विशेष निर्देशों के साथ रिट याचिका का निपटारा किया:
"याचिकाकर्ता को आज से एक महीने के भीतर 5,00,000 रुपये की राशि का भुगतान करना होगा। शेष बकाया राशि, अर्जित ब्याज और शुल्क सहित, 24 समान मासिक किश्तों में चुकाई जाएगी।"
कोर्ट के प्रमुख निर्देश
- प्रारंभिक भुगतान: हरिदास को निर्णय के एक महीने के भीतर (6 सितंबर, 2025 तक) 5 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
- किश्त योजना: शेष राशि को 24 समान मासिक किश्तों में चुकाया जाएगा, जिसकी शुरुआत 1 अक्टूबर, 2025 से होगी।
- नियमित EMI: याचिकाकर्ता को लोन समझौते के अनुसार नियमित EMI का भुगतान जारी रखना होगा।
- चूक के परिणाम: यदि कोई किश्त चूक जाती है, तो बैंक कानूनी कार्यवाही फिर से शुरू कर सकता है।
- जबरदस्ती की कार्यवाही पर रोक: चुकौती को सुविधाजनक बनाने के लिए बिक्री नोटिस सहित सभी जबरदस्ती की कार्यवाही पर रोक लगाई जाएगी।
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निर्णय के प्रभाव
यह निर्णय वित्तीय संस्थानों और वास्तविक कठिनाइयों का सामना कर रहे उधारकर्ताओं के अधिकारों को संतुलित करने में न्यायपालिका की भूमिका को उजागर करता है। संरचित चुकौती की अनुमति देकर, कोर्ट यह सुनिश्चित करता है कि उधारकर्ता अभिभूत न हों, साथ ही बैंक के हितों की भी रक्षा हो।
मामले का शीर्षक: हरिदास एम. बनाम विशेष बिक्री अधिकारी, केरल राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड एवं अन्य
मामला संख्या: W.P.(C) संख्या 28291/2025