दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड के पक्ष में ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में एक अस्थायी निषेधाज्ञा जारी की है। यह मामला एक फर्जी वेबसाइट—aggarwalmoverspackers.in—के खिलाफ दायर किया गया था, जो मिलते-जुलते नाम और सेवाओं का उपयोग कर ग्राहकों को भ्रमित कर रही थी और कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा रही थी।
अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स, एक प्रसिद्ध लॉजिस्टिक्स कंपनी है, जिसने दावा किया कि प्रतिवादी न केवल उनके पंजीकृत ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि अपनी सेवाओं को भी असली कंपनी की सेवाओं के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। वादी वर्ष 1986 से इस व्यवसाय में हैं और भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लॉजिस्टिक्स, रीलोकेशन और वेयरहाउसिंग सेवाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
यह भी पढ़ें: समयपूर्व रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई, प्रक्रिया में अनियमितता पर मांगा स्पष्टीकरण
"पिछले 35 वर्षों में प्राप्त व्यापक प्रतिष्ठा के कारण, व्यापार और जनता के सदस्य 'अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स' को केवल वादी से जोड़ते हैं।" – कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने देखा कि यह फर्जी वेबसाइट ‘अग्गरवाल कार्गो पैकर्स एंड मूवर्स’ के नाम से कार्य कर रही थी और लगभग समान डोमेन नाम और चिन्हों का उपयोग कर रही थी। न्यायमूर्ति अमित बंसल ने पाया कि इस प्रकार का उपयोग बाज़ार में भ्रम पैदा कर सकता है और यह मूल कंपनी की प्रतिष्ठा का अनुचित लाभ उठाने का स्पष्ट प्रयास था।
“वादी के पक्ष में एक प्राथमिक दृष्टिगत मामला (prima facie case) बनता है। प्रतिवादी के चिह्न वादी के चिह्नों के लगभग समान हैं।” – न्यायमूर्ति अमित बंसल
कोर्ट ने अग्रवाल पैकर्स के पक्ष में निर्णय देते हुए प्रतिवादियों और उनके एजेंटों व सहयोगियों को इस भ्रामक डोमेन या ट्रेडमार्क के तहत कोई सेवा प्रदान करने, विज्ञापन देने या बिक्री करने से रोका। डोमेन नाम रजिस्ट्रार को डोमेन को सस्पेंड करने का निर्देश दिया गया, और टेलीकॉम ऑपरेटर्स को संबंधित फोन नंबर और UPI आईडी को ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए।
यह भी पढ़ें: समयपूर्व रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई, प्रक्रिया में अनियमितता पर मांगा स्पष्टीकरण
“सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में है। यदि उल्लंघन जारी रहा तो वादी को अपूरणीय क्षति होगी।” – दिल्ली हाई कोर्ट
यह निषेधाज्ञा न केवल अग्रवाल पैकर्स के ब्रांड की पहचान की रक्षा करती है, बल्कि ग्राहकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से भी बचाती है।
इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई है।
केस का शीर्षक: अग्रवाल पैकर्स एंड मूवर्स लिमिटेड बनाम अग्रवाल कार्गो पैकर्स एंड मूवर्स एंड ऑर्स (सीएस(कॉम) 338/2025)