कोलकाता हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि अदालतें आमतौर पर बैंक गारंटी की इनवोकेशन (भुनाने) पर रोक नहीं लगा सकतीं। हालांकि, यदि याचिकाकर्ता मजबूत प्राइमा फेसाई केस (मूलभूत रूप से सही मामला) साबित करता है तो अंतरिम सुरक्षा दी जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति शम्पा सरकार ने Gallant Equipment Pvt Ltd और Rashmi Metaliks Ltd के बीच हुए एक वाणिज्यिक विवाद में पारित किया।
यह विवाद 5 जुलाई 2023 को हुए एक "गुड्स एंड सर्विस ऑर्डर" से जुड़ा है, जिसके तहत Gallant Equipment Pvt Ltd ने Rashmi Metaliks Ltd को एक ‘कोर क्योरिंग ओवन’ की आपूर्ति करने का समझौता किया था। अनुबंध के अनुसार, मशीन का निर्माण ग्राहक द्वारा ड्रॉइंग और स्पेसिफिकेशन स्वीकृत करने के बाद होना था और डिलीवरी एडवांस पेमेंट मिलने के 60 वर्किंग डेज़ के भीतर होनी थी।
इस डील के तहत, ग्राहक द्वारा दिए गए एडवांस भुगतान की सुरक्षा के लिए याचिकाकर्ता ने 50% राशि के बराबर Advance Bank Guarantee (ABG) जमा कराई थी। शेष राशि उत्पाद निरीक्षण के बाद देनी थी। इसके अलावा, इंस्टॉलेशन के 12 महीने बाद तक वैध रहने वाली 20% Performance Bank Guarantee भी देने का अनुबंध था।
मामले में याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि 27 अक्टूबर 2023 तक मशीन डिलीवरी के लिए तैयार थी, लेकिन इसके बावजूद प्रतिवादी ने न तो डिलीवरी ली और न ही किसी कारण की जानकारी दी। याचिकाकर्ता को आशंका थी कि प्रतिवादी कभी भी बैंक गारंटी इनवोक कर सकता है, जिससे उसे आर्थिक क्षति हो सकती है।
वहीं प्रतिवादी ने दलील दी कि बैंक गारंटी एक स्वतंत्र अनुबंध होता है, जिस पर कोर्ट रोक नहीं लगा सकती और मामले का समाधान अनुबंध में दिए गए आर्बिट्रेशन के जरिये होना चाहिए।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता को प्रतिवादी की मर्जी पर नुकसान उठाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।"
कोर्ट ने यह भी माना कि डिलीवरी में देरी से ABG एक्टिव रहेगा और यह याचिकाकर्ता को अनुचित जोखिम में डालता है। न्यायमूर्ति सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बैंक गारंटी इनवोक होती है तो 50 लाख रुपये की राशि कोर्ट के रजिस्ट्रार के पास जमा होगी और उसे तीन महीने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा जाएगा।
साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अनुबंध के अनुसार आर्बिट्रेशन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। आर्बिट्रेशन शुरू होने के बाद दोनों पक्ष मध्यस्थ से आगे की अंतरिम राहत के लिए संपर्क कर सकते हैं। अंततः जमा की गई राशि का फैसला भी मध्यस्थ ही करेगा।
इस निर्देश के साथ कोर्ट ने सेक्शन 9 की अर्जी का निपटारा किया।
मामले का शीर्षक: Gallant Equipment Pvt Ltd बनाम Rashmi Metaliks Ltd
मामला संख्या: AP-COM/277/2025
आदेश दिनांक: 16 अप्रैल, 2025
पीठ: न्यायमूर्ति शम्पा सरकार