इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कोइल, अलीगढ़ की उप-जिलाधिकारी (SDM) के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है, जिन्होंने बार एसोसिएशन की हड़ताल के चलते एक मामले की सुनवाई टाल दी थी। अदालत ने इसे गैरकानूनी और अस्वीकार्य करार दिया।
यह मामला जनहित याचिका (PIL) संख्या 1389/2025 से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता अशोक कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के खिलाफ याचिका दायर की थी। यह सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर की एकल पीठ के समक्ष हुई।
मामले की पृष्ठभूमि
पूर्व में 24.01.2023 को उप-जिलाधिकारी द्वारा पारित एक आदेश को सत्यपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 34(4) के अंतर्गत अलीगढ़ मंडल के आयुक्त के समक्ष चुनौती दी थी। आयुक्त ने इस अपील को अस्वीकार्य मानते हुए सत्यपाल सिंह को उप-जिलाधिकारी के समक्ष पुनर्स्थापन आवेदन (Restoration Application) दाखिल करने की अनुमति दी।
इसके बाद सत्यपाल सिंह ने धारा 38(2) के तहत आवेदन दायर किया, जिसकी सुनवाई की तिथि 25.07.2025 निर्धारित की गई थी।
लेकिन उस दिन बार एसोसिएशन की हड़ताल के चलते कोई वकील अदालत में उपस्थित नहीं हुआ, जिसके चलते उप-जिलाधिकारी ने सुनवाई 28.07.2025 तक के लिए स्थगित कर दी।
“अब यह अच्छी तरह स्थापित हो चुका है कि बार एसोसिएशन के आह्वान पर किसी भी प्रकार का पेशेवर कर्तव्यों से विरत रहना पूरी तरह से अवैध और अमान्य है।”
— माननीय न्यायमूर्ति जे.जे. मुनीर का अवलोकन।
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सुप्रीम कोर्ट के महत्त्वपूर्ण निर्णयों का हवाला
अदालत ने इस विषय में कई महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला दिया, जिनमें शामिल हैं:
- एक्स-कप्तान हरीश उप्पल बनाम भारत सरकार (2003) 2 SCC 45
- कॉमन कॉज बनाम भारत सरकार (2006) 9 SCC 295
- कृष्णकांत तमरकार बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2018) 17 SCC 27
- जिला बार एसोसिएशन, देहरादून बनाम ईश्वर शांडिल्य (2020) 17 SCC 67
- फैज़ाबाद बार एसोसिएशन बनाम उत्तर प्रदेश बार काउंसिल (20.12.2024 को पारित ताजा आदेश)
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 25.09.2024 के आदेश में कहा:
“हम आशा करते हैं कि वकील इस मुद्दे को सही दृष्टिकोण से देखेंगे और हड़ताल जैसे कदमों से परहेज करेंगे।”
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
“हड़ताल के प्रस्ताव को स्वीकार करना, पीठासीन अधिकारी के लिए दुराचार माना जा सकता है और उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।”
इसके साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि यदि बार एसोसिएशन के पदाधिकारी अदालत की कार्यवाही में बाधा बनते हैं, तो उन्हें पद से हटाया भी जा सकता है।
हाईकोर्ट ने उप-जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताएं कि उन्होंने हड़ताल के आधार पर कार्यवाही क्यों स्थगित की और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
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कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि उप-जिलाधिकारी यह स्पष्ट करें कि बार एसोसिएशन, उसके अध्यक्ष और सचिव की पूरी जानकारी अदालत को दी जाए, जिन्होंने 25.07.2025 को हड़ताल का आह्वान किया था।
“उप-जिलाधिकारी, कोइल, अलीगढ़ अपने ही हलफनामे द्वारा स्पष्ट करें कि उनके विरुद्ध उचित कार्रवाई क्यों न की जाए…”
अदालत ने अब इस मामले को 06.08.2025 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। साथ ही निर्देश दिया कि आदेश की प्रतिलिपि 24 घंटे के भीतर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, अलीगढ़ के माध्यम से उप-जिलाधिकारी को भेजी जाए।
केस का शीर्षक: अशोक कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं 4 अन्य
केस संख्या: जनहित याचिका (पीआईएल) संख्या 1389/2025